HANUMAN CHALISA - AN OVERVIEW

hanuman chalisa - An Overview

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हनुमान चालीसा लिरिक्स स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखे हैं, जो कि रामायण के बाद सबसे प्रसिद्ध रचना है।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥ तुह्मरे भजन राम को पावै ।

Sādhu SādhuGood men and women / monks / renunciates santaSantaSaint keKeOf tumaTumaYou rakhavāreRakhavāreKeeper / guardian

ब्रह्मकी दो शक्तियाँ हैं — पहली स्थित्यात्मक और दूसरी गत्यात्मक। श्री हनुमन्तलाल जी गत्यात्मक क्रिया शक्ति हैं अर्थात् निरन्तर रामकाज में संनद्ध रहते हैं।

व्याख्या – प्राणिमात्र के लिये तेज की उपासना सर्वोत्कृष्ट है। तेज से ही जीवन है। अन्तकाल में देहाकाश से तेज ही निकलकर महाकाश में विलीन हो जाता है।

भावार्थ – हे महावीर! आप वज्र के समान अंगवाले और अनन्त पराक्रमी हैं। आप कुमति (दुर्बुद्धि) का निवारण करने वाले हैं तथा सद्बुद्धि धारण करने वालों के संगी (साथी, सहायक) हैं।

सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया - भजन

असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥ अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।

भावार्थ – आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद कोई भी प्राणी किसी अन्य देवता को हृदय में धारण न करते हुए भी आपकी सेवा से ही जीवन का सभी सुख प्राप्त कर लेता है।

श्रुति रामकथा, मुख रामको नामु, हिएँ पुनि रामहिको थलु है ॥

नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त website काल रघुबर पुर जाई ।

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